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हाइकु 44 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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नईं बचावां
पाणी, पण कैवावां
हां पाणीदार
अखबारां रै
मूंढां बंधी है पाट्यां
विज्ञापनां री
सरमां मरै
आज रै लोगां सामीं
पीवणा सांप