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हाइकु 47 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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सुण पुकार
अंधारी धरती री
ऊगतै सूरज


नीं जरूरत
देवता दर्सण री
घरां बालक


मीरांबाई जी!
कुण समझै अबै
प्रीत री पीड़