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हाइकु 55 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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मैली है गंगा
सोचै है भागीरथ
क्यूं लायो धरा?
देवां रौ देस!
करै है भू-पुतर
आत्महत्यावां
धरा री पीड़
रो रै‘यो है पहाड़
नदी रै रूप