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हाइकु 102 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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भारत भोम
है ऊबड़-खाबड़
आ राजा पृथु


दूरबीन‘र
खुर्दबीन बणाओ
दोनूं आंख्यां नै


बणाओ कोई
डिटर्जेंट जिण सूं
ऊजळै मन