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एक सत्य / महेन्द्र भटनागर

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बन्धन
उभरता है - चुनौती बन
अस्वीकृति बन,
जगाता है सतत
विद्रोह / बल / प्रतिरोध /
ज्वाला / क्रोध।

बन्धन
उभरता - स्नेह की उपलब्धि बन,
स्वीकार बन,
जगाता -
मोह / अक्षय सन्धि / अर्पण चाह /
जीवन - दाह।