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हाइकु 159 / लक्ष्मीनारायण रंगा
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पाणी रो बुल्लो
छण रै जीवण में
घूमर घालै
समंद चेत
मांय ई मांय घुटै
है ज्वाळामुखी
अे अेकलव्य
मांगै सिस्य दखणा
गुरू अंगूठो