कुछ न कुछ / लोकेश नवानी
साँचा:KKCatGadhwaliKavita
रंग-बिरंगी होरि ऐगे रंग बिरंग।
रितु का मन मा तन मा रितु का ऐ उमंग।
मटण्या पुंगड़ि हैरो रंग कुदरत बिखेरि ग्याई।
ऐंच बटिकि पिंगली फयूंलि भिटगों पर चुलैइ ग्याई
छिटगों सी ललंगा नीला फूल खिल्यां संग-संग।
बुरांसु ना डांड्यूं की मुखड़ि करीं ललंगी।
आरु पंय्या गौं गलौं का छन पुराणा संगी।
मेलु चोलू झक सफेद जन जिकुड़ि मुखड़ि को रंग।
सर्ग लेकि दोबण लग्यूं पाणि की कसेरी।
भिजै देनि छकणछट्ट लखुड़ेली घसेरी
भौजि की गतुड़ि चूंदि देख दिदा रैगि दंग।
उदमता उनमतां प्राण गैल्या सौंजड्यों का साथ
काली कबरिणी ललण्या हरण्या बन बनिकी गात
बन बनी का रंग देखि चखुलि पोतली ह्वेग्यीं तंग।
रंग-बिरंगी होरि ऐगे रंग बिरंग।
रितु का मन मा तन मां रितु का ऐ उमंग।
कैन ये रंगीनि कतगा यूंकि बाणियों का रंग।