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देखऽ ही / अरुण हरलीवाल
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कहाँ तलक,
कते कदम
चलऽऽ हे
साथ कउन;
देखऽ ही।
लहके जग,
छतरी तब
रखऽऽ हे
माथ कउन;
देखऽ ही।
राह चले,
रार करे;
मारऽ हे
लात कउन
देखऽ ही।
मरहम-सन,
सरगम-सन
करऽऽ हे
बात कउन;
देखऽ ही।
काँट चुभे,
चोट लगे...
थमऽऽ हे
हाथ कउन;
देखऽ ही।
देके बचन
जा हे मुकर
खींसऽ हे
दाँत कउन;
देखऽ ही।
दूर-दूर,
बाउजूद
रहऽऽ हे
साथ कउन;
देखऽ ही।