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सपना जगमग / अरुण हरलीवाल
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बेटी के पाँव में छनके पयलिया,
से रूनू-झूनू!
गूँजे घर अउ घेवरिया,
से रूनू-झूनू!
जइसे बरसे बदरिया,
से रूनू-झूनू!
बेटी के कंठ में रागऽ अउ रगिनियाँ,
से अमरित चूए!
जइसे कोयल के बोलिया,
से अमरित चूए!
जइसे बुलबुल के गितिया,
से अमरित चूए!
बेटी के होंठ पर नाचे मुसकनवाँख्
से नीकऽ लऽगे!
जइसे चमके बिजुरिया,
से नीकऽ लऽगे!
जइसे सरद के पुनियाँ,
से नीकऽ लऽगे!
बेटी के हाथ में लाली रे कलमियाँ,
से लाली-लाली!
लिखे लाली रे अछरिया,
से लाली-लाली!
जइसे भोरऽ के किरिनियाँ,
से लाली-लाली!
बेटी के आँख में टटका सपनवाँ,
अनेकऽ रंगा!
जगमग-जगमग रे सपवनवाँ,
अनेकऽ रंगा!
जइसे इनरऽधनुसवा,
अनेकऽ रंगा!