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बंद हे चउपाल / अरुण हरलीवाल
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बंद हे चउपाल अब, सून पड़ल दूरा हे;
बीच एक दोसरा के खउफ बनल पूरा हे।
लगल, हाथ में उनकर उज्जर गुलाब हे;
भिरि अइलन, तब लउकल, खूब पजल छूड़ा हे।
मेला हे लगल इहाँ बउब-कट बाल के,
इहाँ कहाँ जूही के फूल-सजल जूड़ा हे।
जल्दी से पछियारी खिड़की लऽ बंद कर,
पच्छिम से पछिया ई लान रहल कूड़ा हे।
हाँड़ी खाली, जिनकर हाँड़ घिसल खेत में;
दंड पेलेवाला घर भाँड़ भरल चूड़ा हे।
बीमार हमनी ही, मगर तनिये-मनी;
हउस्पीटल-डाक्टर बीमार पड़ल पूरा हे।