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स्मृति / महेन्द्र भटनागर

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याद आते हैं
तुम्हारे सांत्वना के बोल!
आया
टूट कर
दुर्भाग्य के घातक प्रहारों से
तुम्हारे अंक में
पाने शरण!
समवेदना अनुभूति से भर
ओ, मधु बाल!
भाव-विभोर हो
तत्क्षण
तुम्हीं ने प्यार से
मुझको
सहर्ष किया वरण!
दी विष भरे आहत हृदय में
शान्ति मधुजा घोल!
खड़ीं
अब पास में मेरे,
निरखतीं
द्वार हिय का खोल!
याद आते हैं
प्रिया!
मोहन तुम्हारे
सांत्वना के बोल!