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शहीद मति दास / मेला राम 'वफ़ा'

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ऐ मतिदास भर आई चश्मे जहां
देख कर आरे से चीरा जाना तिरा
इंतिहा ज़ब्तो-सब्रो-तहम्मल की थी
हर्फे उफ़ तक भी लब पर न लाना तिरा

छिड़ गईं जब शहीदों की बातें कहीं
दिल में फिलफौर तेरा ख़याल आ गया
तू खड़ा जब हुआ जा के आरे तले
तेरे चेहरे पे कुदसी जलाल आ गया

इस अज़ीयत से तेरी हलाकत हुई
तबऐ दौरां में भी इश्तआल आ गया
मिल गई ज़ालिमों को सज़ा ज़ुल्म की
मुग़लिया सल्तनत पर ज़वाल आ गया

ज़िन्दगी का सफ़र सहल तर हो गया
दूर जब दिल से मरने का डर हो गया
मर गये मरने वाले ज़रो-माल पर
कौम पर मरने वाला अमर हो गया।