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शब अंधेरी है रौशनी लाओ / ईश्वरदत्त अंजुम

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शब अंधेरी है रौशनी लाओ
उस के जल्वों की चांदनी लाओ

ऐ हवाओं! वो खो गया है कहां
उस की ख़ुशबू ही तुम कभी लाओ

छुप के बैठे हो लाख पर्दों में
रूबरू आ के हर खुशी लाओ

दूर माहौल की हो बेरंगी
उन की आंखों से दिलकशी लाओ

हम मसीहा-नफ़स कहेंगे तुम्हें
ज़र्द चेहरों पे ताज़गी लाओ

जो तरसते हैं मुस्कुराने को
ऐसे होंटो पे नग़मगी लाओ

उस की रहमत हो मेहरबाँ 'अंजुम'
अपनी आंखों में कुछ नमी लाओ