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ग़म सताये तो जाम लेता हूँ / ईश्वरदत्त अंजुम
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ग़म सताये तो जाम लेता हूँ
रूह से इतिकाम लेता हूँ
चैन मिलता है ज़िक्र से उसके
ग़म में उसका ही नाम लेता हूँ
खा न जाये मुझे ग़मे-हस्ती
बेखुदी से भी काम लेता हूँ
उसकी आंखें हैं मैकदा-बरदोश
उसकी आंखों का जाम लेता हूँ
भेजता हूँ सलाम मैं उसको
और जवाबन सलाम लेता हूँ
लड़खड़ाता हूँ जब भी उल्फ़त में
दामने-होश थाम लेता हूँ
ग़म भुलाने के वास्ते अंजुम
मैं तहमुल से काम लेता हूँ