भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल के अरमान जब मचलते हैं / ईश्वरदत्त अंजुम

Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:59, 20 अगस्त 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ईश्वरदत्त अंजुम |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
दिल में इक दर्द का अहसास जगा देता है
डूबती नज़रों से जब कोई दुआ देता है

दमे-नफ़रत से रहो दूर महब्बत सीखो
प्यार इंसान को इंसान बना देता है

जामे-मय कुछ तो मज़ा देता है यारो मुझको
शिद्दते-दर्द को थोड़ा सा घटा देता है

जब कभी हसरते-दीदार सताती है मुझे
अपने रुख़ से कोई पर्दे को हटा देता है

राह पा जा जाता है महबूब के दिल में वो शख्स
उस की हर बात पे जो फूल चढ़ा देता है

जो झुका देता है अज़ रहे-अक़ीदत सर को
अपनी अज़मत का वो ऐजाज़ दिखा देता है

जामे-वहदत उसे हो जाता है हासिल अंजुम
खुद को जज़्बात से ऊपर जो उठा देता है