भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उसका सदका उतारते रहना / ईश्वरदत्त अंजुम
Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:08, 20 अगस्त 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ईश्वरदत्त अंजुम |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
उसका सदका उतारते रहना
रंगे-हस्ती निखारते रहना
आरज़ुए हैं दुश्मने-इंसां
नफ़से-सर्कश को मारते रहना
बुगजो हिना से दूर ही रह कर
अपनी हस्ती सँवारते रहना
सर को रखना ख़ुदा के सजदे में
नाम उसका पुकारते रहना
उसका दीदार हो न हो लेकिन
आरती तुम उतारते रहना