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मिलने जुलने का सिलसिला रखना / ईश्वरदत्त अंजुम
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मिलने जुलने का सिलसिला रखना
हम गरीबों से राबिता रखना
ग़मे-दुनिया न रौंद दे तुझको
ग़म उठाने का हौसला रखना
छू न पाए हवा-ए-गर्म उसे
उसको दिल शाद ऐ ख़ुदा रखना
आंख से हो न ये कहीं ज़ाहिर
प्यार को दिल ही में छुपा रखना
शान से जीना शान से मरना
ज़िन्दगी में कोई अदा रखना
ऐ नसीमो-सबा मिरे घर की
खिड़कियों से बि राबिता रखना
क्या खबर रास्ता कहां निकले
इक दिया प्यार का जला रखना
एक दिन आयेगा वो ऐ अंजुम
आस के दीप तुम जला रखना