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वो रश्क़े-बहार आ जाता / ईश्वरदत्त अंजुम

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वो रश्क़े-बहार आ जाता
आरज़ू पर निखार आ जाता

तेरी राहों में फूल बरसाते
तू अगर एक बार आ जाता

लाख सजदे निसार हो जाते
जो उसे मुझ पे प्यार आ जाता

वो कभी भूल कर भी इस जानिब
ऐ दिले-बेक़रार आ जाता

एक कच्चे घड़े पे हो के सवार
कोई दरिया के पार आ आता

उसके वादा पे काश ऐ अंजुम
दिल को कुछ ऐतबार आ जाता