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प्राण सींचती / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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1
प्राण सींचती
सामगान -सी वाणी
सद्यस्नाता- सी।
2
नश्वर काया
तुम्हारी मोहमाया
बाँधे है मुझे।
3
आँसू तुम्हारे
भिगोएँ मेरा सीना
मैं बड़भागी।
4
रातों में जागूँ
तुम्हारे लिए ही मैं
दुआएँ माँगूँ ।
5
अंक में भरो
उलझी नेह -डोर
सुलझा भी दो।
6
प्राण अटके
तुम न मिल सके
हम भटके।