भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अनुवाद: एक सेतु / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:08, 23 जुलाई 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह=जीने के लिए / महेन्द्र भटनागर }...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अनुवाद

मात्रा भाषान्तर नहीं
वह सेतु है !

एक मन को दूसरे से
जोड़ने का,
परस्पर अजनबीपन
तोड़ने का !

विश्व-मानव के
शिथिल सम्बन्ध-सूत्रों को
पिरोने और कस कर बाँधने का,
आत्म-हित में
दृढ़ अटूट प्रगाढ़
मैत्री साधने का !

अनुवाद —
साधन है
देशान्तरों के - व्यक्तियों के
बीच निर्मित
अतल गहराइयों में
पैठने का,
निःशंक हो
द्विविधा रहित
मिल बैठने का।

लाखों-करोड़ों मानवों के मध्य
सह-संवाद है
अनुवाद।
अनजान मानव-लोक के
बाहर व भीतर व्याप्त
गहरे अँधेंरे का
दमकती रोशनी में
सफल रूपान्तर।
नहीं है
मात्रा भाषान्तर !

माध्यम है —
अपरिचय को
गहन आत्मीयता में बदलने का,
हर संकीर्णता से मुक्त हो
बाहर निकलने का !
सभ्यता-संस्कार है !
अनुवाद !

भाषिक चेतना का
शक्त एक प्रतीक है,
सम्प्रेषण विधा का
एक रूप सटीक है !
अनुवाद —
मानव-विवेक
प्रतिष्ठ सार्थक
केतु है !
अनुवाद —
मात्रा भाषान्तर नहीं;
वह सेतु है !