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मैंने जिसको कभी भुलाया नहीं / शहरयार
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मैंने जिसको कभी भुलाया नहीं
याद करने पे याद आया नहीं
अक्से-महताब से मुशाबह है
तेरा चेहरा तुझे बताया नहीं
तेरा उजला बदन न मेला हो
हाथ तुझ को कभी लगाया नहीं
ज़द में सरगोशियों की फिर तू है
ये न कहना तुझे जगाया है
बा-ख़बर मैं हूँ तू भी जानता है
दूर तक अब सफ़र में साया नहीं।