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मत रो माता, लाल तेरे बहुतेरे / शैलेन्द्र

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मत रो माता, लाल तेरे बहुतेरे
जनमभूमि के काम आया मैं, बड़े भाग हैं मेरे
मत रो माता, लाल तेरे बहुतेरे, मत रो

हँसकर मुझको आज विदा कर, जनम सफल हो मेरा
रोता जग में आया, हँसता चला ये बालक तेरा
मत रो माता, लाल तेरे बहुतेरे, मत रो

धूल मेरी जिस जगह तेरी मिट्टी से मिल जाएगी
सौ-सौ लाल गुलाबों की फुलबगिया लहराएगी
मत रो माता, लाल तेरे बहुतेरे, मत रो

कल मैं नहीं रहूँगा लेकिन, जब होगा अँधियारा
तारों में तू देखेगी हँसता एक नया सितारा
मत रो माता, लाल तेरे बहुतेरे, मत रो

फिर जनमूँगा उस दिन जब आज़ाद बहेगी गंगा, मैया
उन्नत भाल हिमालय पर जब लहराएगा तिरंगा
मत रो माता …

(फ़िल्म - बन्दिनी 1963)