भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार निभाना, भूल न जाना / शैलेन्द्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:35, 24 अगस्त 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= शैलेन्द्र |संग्रह=फ़िल्मों के लि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्यार निभाना, भूल न जाना
सजन सलोने, मैं भई आज तेरी
साथ जिऊँगी, साथ मरूँगी

सजन सलोने, सांची ये प्रीत मेरी
प्यार निभाना, भूल न जाना
सजन सलोने, मैं भई आज तेरी

सजनवा, बलमवा, नैना मेरे
झुक-झुकके हर बार आगे तेरे, कहते हैं ये
प्यार निभाना, भूल न जाना …

पलकों में आके, सपने सजाके
तुमको क़सम है रुलाना ना तुम, जाना ना तुम
प्यार निभाना, भूल न जाना …

साँवरिया, डगरिया ये प्यार की
खो आई मैं राह संसार की, हर द्वार की
साथ जिऊँगी, साथ मरूँगी …

(फ़िल्म - बेग़ाना 1963)