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रुक जा ओ जाने वाली रुक जा / शैलेन्द्र

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कहाँ जाते हो,

टूटा दिल, हमारा देखते जाओ

किए जाते हो हमको

बेसहारा देखते जाओ

कहाँ जाते हो...


करूँ तो क्या करूँ

अब मैं तुम्हारी इस निशानी को

अधूरी रह गई अपनी

तमन्ना देखते जाओ

कहाँ जाते हो...


कली खिलने भी ना पाई

बहारें रूठ कर चल दी

दिया क़िस्मत ने कैसा

हमको धोखा देखते जाओ

कहाँ जाते हो...


तमन्ना थी की दम निकले

हमारा तेरी बाहों में

हमारी ख़ाक में मिलती

तमन्ना देखते जाओ

कहाँ जाते हो..