उछलती-कूदती
विपरीत
लहरों से
निरन्तर जूझते,
जीवन-मरण के बीच
अस्थिर झूलते,
दिन रात
कितनी कश-म-कश के बाद
कूल मिला !
धीरज से
कठिनतम साधना के बाद,
जीवन-सत्त्व-स्पन्दन भर
जड़ों को सींच
टटका
मुसकराता
एक
फूल खिला !