पेट / प्रमोद धिताल / सरिता तिवारी
पेट
अब सबसे बड़ी बात है
पेट
तुम्हारे दिए हुए विचार
एक सांस में पीने के बाद पानी जैसा
सोचा था
तृप्त होगा पेट
विचार का समुद्र लेकर चलने के बावजूद भी
ख़ाली होने के बाद पेट
मिला है भूख के उत्कर्ष में
नया बोधिसत्व
बड़ी बात मालूम होने के लिए
चाहिए बड़ी ही त्रासदी
तुम्हारे बनाये हुए मोक्ष के कुण्ड के ऊपर
जैसे ही निकली हुई है लावा
नज़दीक ही खड़ा किया हुआ
सपनों का पिरामिड
अस्थिपंजर के साथ ही
धूसरित है ज़मीन में
एक हाथ में पासपोर्ट
और दूसरे हाथ में प्रवेशाज्ञा लेकर
उड़ रहा हूँ आकाशमार्ग में
और सोच रहा हूँ
क्या था मेरा जीवन का खोज?
क्या था मेरा विचार?
क्या था मैं?
अब एक ही सत्य मिला है
विचारों के भीड़ में
सबसे निर्मम विचार है
पेट
प्रिय सुप्रिमो!
प्रिय कामरेड,
क्या सोच रहे हो तुम
क्या ख़त्म हो गया युद्ध का मौसम?
मैं तो अभी तक युद्धरत हूँ
जीवन के कठोर सुरंग युद्ध में
अभी तो मैंने
छोड़ा नहीं है हथियार।