भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जस / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

Kavita Kosh से
Jangveer Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:27, 12 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशाकर |अनुवादक= |संग्रह=ककबा करै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रसे-रसे
सिहकैत अछि बसात
नचैत पात सभक डोलब पर
ताल दैत अछि
चिड़ै-चुनमुनी
शुरू होमऽ लगैत अछि आर्केस्ट्रा।

वनिताक
नमहर-नमहर केश
खेलाइत छैक ओकर चेहरासँ
चेहरा-
एकरा लऽ कऽ
कतेक मचल छैक घमासान
एकर गली-कुच्चीमे
बिनु प्रचार केने
ई पाबि गेली जस।