भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मीता / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

Kavita Kosh से
Jangveer Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:37, 12 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशाकर |अनुवादक= |संग्रह=ककबा करै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


हमरा बाबू नहि देलक
माय नहि देलक
भाय नहि देलक
बहिन नहि देलक
कोनो सुर-कुटुम नहि देलक
तोहीं दैह
बुढ़ारियोमे जुआनी अनुभव करबा लेल
प्रेमक दबाइ
मगनक दबाइ
आ, हिम्मतिक दबाइ।

आबह मीता!
बाँटि-चुटि ली
स्नेह आ साहचर्य।