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मुखड़ा / गंग नहौन / निशाकर
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मुँह एकेटा
मुदा देखियौ
कतेक मुखड़ा
लगौने रहैत अछि
मनुक्ख।
आदिकालसँ आइ धरि
बदलि रहल अछि
पल-पल
अपन मुखड़ा।
कखनो हिटलरक
तँ कखनो लादेनक
कखनो रामक
तँ कखनो रावणक
कखनो योगीक
तँ कखनो भोगीक।