हे आजुक रचयिता! कतेक काल धरि अहाँ रहब सूतल कुंभकर्णी निद्रामे अहाँक बाट ताकि रहल अछि आजुक स्त्री-पात्र। गामे-गाम दुआरिये-दुआरि देल जा रहलैए ओकरा यातना कहिया धरि कनैत रहति करैत रहति आत्महत्या जिनगी जीबाक लेल कहिया देबै अहाँ ओकरा हिम्मति की अहूँ हाट-बजारक बेचवाल भऽ गेल छी?