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जो दुनिया तुमने देखी रूमी / नाज़िम हिक़मत

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जो दुनिया तुमने देखी रूमी,

वो असल थी, न कोई छाया वगैरह

यह सीमाहीन है और अनंत,

इसका चितेरा नहीं है कोई अल्लाह वगैरह

और सबसे अच्छी रूबाई जो

तुम्हारी धधकती देह ने हमारे लिए छोड़ी

वो तो हरगिज़ नहीं जो कहती है -

"सारी आकृतियाँ परछाई हैं" वगैरह