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लोग अपने आप में उलझे दिखे / अजय अज्ञात
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लोग अपने आप में उलझे दिखे
सब के मुरझाये हुए चेहरे दिखे
दुश्मनों के बदले से लहजे दिखे
आजिज़ी से बात सब करते दिखे
आइने के सामने से गुज़रे जो
सब के ही किरदार कुछ मैले दिखे
दैरो काबा हो या कोई मैकदा
एक मरकज़ पर सभी ठहरे दिखे
मोजिज़ा कल रात कुछ ऐसा हुआ
ख़्वाब में माज़ी के कुछ लम्हे दिखे
वक़्त का चश्मा लगा कर देखा तो
बोझ-सा बनते हुए रिश्ते दिखे
ज़िंदगी की राह पर चलते हुए
मुझको अपने से सभी अच्छे दिखे