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बरसे बदरिया / देवमणि पांडेय

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बरसे बदरिया सावन की

रुत है सखी मनभावन की


बालों में सज गया फूलों का गजरा

नैनों से झाँक रहा प्रीत-भरा कजरा

राह तकूँ मैं पिया आवन की

बरसे बदरिया सावन की


चमके बिजुरिया मोरी निंदिया उड़ाए

याद पिया की मोहे पल-पल आए

मैं तो दीवानी हुई साजन की

बरसे बदरिया सावन की


महक रहा है सखी मन का अंगनवा

आएंगे घर मोरे आज सजनवा

पूरी होगी आस सुहागन की

बरसे बदरिया सावन की