Last modified on 4 अक्टूबर 2018, at 11:13

सफ़र / जंगवीर स‍िंंह 'राकेश'

Jangveer Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:13, 4 अक्टूबर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem> हमको न...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हमको न जानें ये क्या हो गया है
दिल इस सफ़र में ये क्यूँ खो गया है
हमको ख़बर है, औ' न कुछ पता है
दिल इस सफ़र में ये क्यूँ खो गया है

नादानियाँ हैं खूब मस्तियाँ हैं
अँखियों में कुछ चालाकियाँ हैं
क्या हमसफ़र सा कोई मिल गया है
दिल इस सफ़र में ये क्यूँ खो गया है

रस्तें ये आगे बढ़ते ही नहीं हैं
नदियों के ये पुल थकते ही नहीं हैं
सारा सफ़र कुछ यूँ ही कट गया है
लफ़्जों में उसके जादू भरा है

क्या मुझको उनसे इश्क़ हो गया है
दिल इस सफ़र में ये क्यूँ खो गया है