भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सभा / वीरेन डंगवाल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:48, 21 अक्टूबर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन डंगवाल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
भीतर वालों ने भितरघात किया
बाहर वालों ने बहिर्गमन
अध्यक्ष रूठे कुछ देर को
संविधान के अनुच्छेदों के निर्देशानुसार
सदन स्थगित हुआ
भत्ता मगर मिला सबको
यों चलती ही रही हमारी सभा
चलती ही रही मार-काट ।