Last modified on 14 दिसम्बर 2018, at 22:13

शिक्षा का परचम / रजनी तिलक

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:13, 14 दिसम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रजनी तिलक |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तू पढ़ महाभारत
न बन कुन्ती, न द्रोपदी।

पढ़ रामायण
न बन सीता, न कैकेयी।

पढ़ मनुस्मृति
उलट महाभारत, पलट रामायण।

पढ़ कानून
मिटा तिमिर, लगा हलकार।

पढ़ समाजशास्त्र, बन जावित्री
फहरा शिक्षा का परचम।