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कुछ दण्ड मिला है न क्षमादान मिला है / डी. एम. मिश्र

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कुछ दण्ड मिला है न क्षमादान मिला है
स्वीकारता हूँ कोई दयावान मिला है

आई थी बड़ी आपदा इस गाँव में भी किन्तु
कुछ राजकीय कोष से अनुदान मिला है

विश्वास करें हो गया मेरा विभेार मन
निर्धन के यहाँ जब मुझे सम्मान मिला है

शिक्षक ही ज्ञान बाँटता यह सत्य है कहाँ
अनपढ़, गँवार से भी मुझे ज्ञान मिला है

प्रत्येक समस्या का हल निकालता रहा
दुख का न किन्तु कोई समाधान मिला है