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शरद का गीत / पॉल वेरलेन / अनिल जनविजय

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देर तक रोता हूँ
शरदकाल में बजती
उदास वायलिन की तरह
घायल है मेरा दिल
पीड़ित है
नीरस है बेसुरा

घनी ऐंठन है मन में
पीला हो गया है चेहरा
मुझे याद आते हैं
पुराने दिन
और रोता हूँ मैं आह भर-भर

अब जा रहा हूँ
शरद की हवा के साथ
थपेड़े खाता हुआ
सूखे मृत पत्ते की तरह

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय