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परित्याग / पॉल वेरलेन / मदन पाल सिंह

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जब मैं था एक नादान बच्चा, देखा करता था कोहिनूर के स्वप्न
ख़्वाब पारसी राजा और पोप की समृद्धता और वैभव का
ख़्वाब असीरियन सुलतान सरदानपलुस और रोमन सम्राट हेलीगाबालुस का भी

जाग उठी मेरी कामनाएँ स्वर्ण छत के नीचे
सुगन्ध के बीच, जहाँ उठती है संगीत की धुन
बेइन्तहा बड़े हराम ओ महलसरा, भोग-विलास और देहसुख के साथ,

शान्त है ये दिन पर कामना है उद्दीप्त
जानते हुआ ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा रोक देनी चाहिए लालसा,
मुझे लगाम कसनी थी अपनी ख़ूबसूरत नादानियों पर
बिना अपने आपको आहूत किए लम्बे समय तक यूँ ही ।

ऐसा ही हो यदि लुत्फ़ उठाने की महान इच्छाएँ टल जाएँ
भले और मामूली आदमियों से दूर और विरक्त
मैं हमेशा नफ़रत करता हूँ सुन्दर रमणी से
सममात्रिक तुक और विवेकशील दोस्त से भी।

मूल फ़्रांसीसी से अनुवाद : अनिल जनविजय