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तू मेरा आइना है और तू / अरुणा राय

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पूछती हूं मैं.........
... क्‍या होता है प्‍यार
तो कहता है वो
के जो तू कहती है
कि तू आइना है मेरा
और जो मैं कहता हूं
के आंखें है तू मेरी
यही ... यही है प्‍यार
अच्‍छा???????
तो यह
जो तेरा मेरा है
यही प्‍यार है???????
मतलब ...
सारा कुछ गड्ड मड्ड कर देना
कि ना कुछ तेरा ... ना मेरा रहे कुछ?
हां ... हां ... चीखता है वह
तो फिर
तेरी कविता मेरी हुई
हां चल हुई
और ... मेरे आंसू भी तेरे हुए
अरे ... ओह तू तो सचमुच रोने लगी
ओह ... हां हुई
पर इसका मतलब ये नहीं
के तू टेसुए बहाती रहे ताउम्र
तो क्‍या प्‍यार में
केवल खुशी वाले पल चलेंगे
-फिर गम वाले ये पल कौन लेगा???????
... पूछती हूं मैं
वह सोच में पड़ जाता है
गम वाले... हां हां गमवाले हुए मेरे...
पर कुछ
अपने लिए भी रखोगी के
बस यूं ही उड़ते रहने का ख्‍याल है
वाह... पर क्‍यों...
अरे गम वाले तो मेरे पास भी
इफरात हैं...