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सूरज / मेरी ओलिवर / रश्मि भारद्वाज

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क्या तुमने अपने जीवन में कोई भी चीज़ देखी है इतनी अनोखी
जिस तरह से हर शाम सूरज़
शिथिलता और शान्ति से
बहता है क्षितिज की ओर
एवं बादलों और पहाड़ों की ओर
या अस्त-व्यस्त समुद्र में
और अदृश्य हो जाता है
और फिर किस तरह उभर आता है बाहर
अन्धकार से
हर सुबह
दुनिया के दूसरे हिस्से में
किसी लाल फूल की तरह
 
अपने दिव्य ईंधन के सहारे ऊपर उठता हुआ
एक सुबह गर्मी की शुरुआत में,
अपनी सन्तुलित शाही दूरी पर
कहो, क्या कभी तुमने महसूस किया है किसी चीज़ के लिए
ऐसा बेक़ाबू प्रेम —
क्या तुम्हें लगता है कहीं भी, किसी भी भाषा में,
ऐसा शब्द है
उस उल्लास के लिए
जो तुम्हें तृप्त करता है
जब पहुँचता है सूरज
तुम तक
उष्मित करता है तुम्हें
जब तुम खड़े होते हो
ख़ाली हाथ

या क्या तुम भी
इस दुनिया से विमुख हो गए हो
या कि हो चुके हो पागल
सत्ता के लिए
वस्तुओं के लिए

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : रश्मि भारद्वाज