भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उपला प आग / हरेश्वर राय

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ४ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:28, 8 फ़रवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरेश्वर राय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमरा मनवाँ के मांगल मुराद मिलल बा
दिल के गमला में हमरा गुलाब खिलल बा I

हमरा धड़कन के जेतना सवाल रहन सन
ओह सवालन के सुन्दर जबाब मिलल बा I

हमरा नयनन के दरपन में चाँद आ बसल
हमरा होंठन के सरगम शराब मिलल बा I

मन के बंजर बधार में बहार आ गइल
भरल फगुआ से सोगहग किताब मिलल बा I

जेठ जिनिगी में सावन के फूल खिल गइल
बूझल चूल्हा के उपला प आग मिलल बा I