भूमि / चेन्जेराई होव / राजेश चन्द्र
मैं रोऊँगा तुम्हारे लिए
तुम्हारे लिए विलाप करूँगा मैं
मैं शोक मनाऊँगा तुम्हारे लिये मृत्युपर्यन्त ।
मैंने खोद निकाला उन आलुओं को
जिन्हें रोपा था अपने हाथों मैंने —
ये लाल हो चुके हैं ख़ून से ।
मैं एक कुआँ खोदता हूँ
बच्चों की प्यास के लिए —
मैं मिलता हूँ एक आसमान से
जिसे छलनी कर दिया है गोलियों ने ।
मेरी माँओं की भूमि
मेरे पिताओं की भूमि
मैं रोता हूँ तुम्हारे लिए
जब मैं देखता हूँ राज्य के बूढ़े लोगों को
खून-सने हाथों से काम करते हुए,
जब मैं देखता हूँ राज्य की बूढ़ी औरतों को
खोपड़ी से बने पत्थरों पर सान चढ़ाते हुए ।
मेरी भूमि, मैं रोता हूँ तुम्हारे लिए
कि तुमने खो दी है आवाज़ अपनी
आसमान की अनुगूँज के लिए,
तुम्हारी सुन्दरता डूब रही है,
तुम्हारी साँस ढलती जा रही है धुन्ध में,
तुम्हारी दृष्टि धुँधली हो गयी है धुन्ध में ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र