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नज़र में रहा ना ख़बर में रहा / विकास जोशी

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नज़र में रहा ना ख़बर में रहा
मुसाफ़िर था मैं तो सफ़र में रहा

मिला ना मुझे मुझसा कोई कहीं
सदा अजनबी सा नगर में रहा

थे हैरत में ये सोच दुश्मन मेरे
मैं किस की दुआ के असर में रहा

है मुमकिन भुलाया हो मैंने उसे
मगर मैं तो उसकी नज़र में रहा

हज़ारों तमन्नाओं का बोझ भी
अज़ल से दिले मुख़्तसर में रहा

गिला है यही ज़िन्दगी से मुझे
किनारा मिला ना भंवर में रहा

तिजारत मुहब्बत या हो दोस्ती
ये है तजुर्बा मैं ज़रर में रहा

भरोसा भी करना उठाना फरेब
यही ऐब मेरे हुनर में रहा