भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चरवाहे / कुमार मुकुल
Kavita Kosh से
कुमार मुकुल (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 09:19, 1 अगस्त 2008 का अवतरण (New page: चरवाहे शहंशाह बन सकते हैं बने हैं शहंशाह शहंशाह बन नहीं सकता चरवाहा चाह...)
चरवाहे शहंशाह बन सकते हैं बने हैं शहंशाह शहंशाह बन नहीं सकता चरवाहा चाहकर भी तानाशाह बन सकता है वह
भोला-भाला व्यक्ति बन सकता है पंडित ज्ञानी विराट ज्ञानी हो नहीं सकता मूर्ख पागल हो सकता है वह
आकाश छूती जमीन को पाट सकते हो अटटालिकाओं से खींच सकते हो कई-कई और चीन की दीवार उसे बदल नहीं सकते समतल भूमि में खंडहर बना सकते हो वहां बोलेंगे उल्लू।