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महकै लाग बाय अब महुवा / सन्नी गुप्ता 'मदन'

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गाड़ी दीखब बंद होइ गवा
भलमनई अब दीखै लागिन।
देखा वहि खेते के धूरिम
वंगरिस लड़के लीखै लागिन।
ताल नहर हमका देखात बा
बकरी शेर साथ मा बाटे।
कल्लू बिरजू मँगरू के संग
नाव बोलावै मोटे नाटे।
अंकल अंटिक तंबू तज चाचा चाची कै छाँव आइ गै।
महकै लाग बाय अब महुवा हमका लागत गाँव आइ गै।।

छप्पर छाँही दिखै लाग बा
पूरे कपड़म मनई बाटे।
लगी बाय चौपाल दुवारे
सब केव आपन आपन छाटे।
दादी लागे नयी बहुरिया
बड़कुक आगे घूँघुट काढै।
यनकै मीठी बात सुनै से
जेस पानी मा चीनी बाढ़ै।
भाषा,वाणी प्रेम हवा पानी कुल मा बदलाव आइ गै।
महकै लाग...........

मून छोड़ यहि चंदा मामा
हर घर मा उजियार करत है।
सुरजलाल बाबा अब देखा
जल पाये कुल कष्ट हरत है।
पीपर पूजै गोरु पूजै
नीमिक कहै शीतला माई।
गोड़ धरै गाई गोरु कै
एक साथ भाई भउजाई।
निर्बिरोध अब कुल रिश्तन मा एक दिशीय बहाव आइ गै।
महकै लाग बाय अब.........

दूर-दूर तक हरा भरा सब
सूखी डार नाय दीखत बा।
माई दादा के साथे मा
संस्कार लड़क्या सीखत बा।
झलुवा पड़ा बाय टायर कै
भाय बहिन सब साथे झूलै।
अपने रिश्ता कै मर्यादा
केहू नाय इहवाँ पै भूलै।
ल्या देखा हो बाबूजी शायद तोहार पड़ाव आई गै।
महकै लाग बाय अब महुवा हमका लागत गाँव आइ गै।।