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दिल के बात / उमेश बहादुरपुरी

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जिनगी के पलना से बँधल सुख-दुख के डोरी हे।
परदा के पाछु बइठल कोय साँवर गोरी हे।।
कभिओ जगावे हमरा ई कभिओ सुलाबे हे।
कभिओ हँसाबे हमरा कभिओ रूलाबे हे।
समझ न आबे हमर ई कौन ठिठोरी हे? परदा ....
बिना इजाजत के आबे हे बिना इजाजत जाहे।
कखने ओक्कर मन में की हे कोय कैसे के थाहे।
चाँद कहूँ हम एकरा ई हमर चकोरी हे।। परदा ....
न´् देखलाबे सूरत न´् देखलाबे मूरत।
न´् देखे दिन-रात न´् देखे कोय मुहूरत।
पल-भर में ले उड़ऽ हे सबकुछ ई कइसन चोरी हे।। परदा ....
कहाँ हे एक्कर ठौर-ठिकाना कहाँ हे आबोदाना।
हमरा तो लागे हे सबदिन ई राही हे अंजाना।
जे टकराए एकरा से ओक्कर बलजोरी हे।। परदा ....
कोय समझ हे न´् पइलक ई राज भला की हे?
कोय समझ न´् पइलक ई मौत बला की हे?
जे डर जाहे एकरा से ओक्कर कमजोरी हे।। परदा ....