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ग़ज़ल / उमेश बहादुरपुरी
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नहइर में सब झूठा हमर पिया।
हमरा ले तूँ अनूठा हमर पिया।।
बाप-महतारी गोइठा ठोकबाबे।
बाँधल ही हम ई खूँटा हमर पिया।। नइहर ....
बाप-महतारी भैंसी चरवाबे।
जिनगी बदल हे ठूँठा हमर पिया।। नइहर ....
हमरा ले त तूँहीं सुंदर सजनमा।
बाकी काला-कलूटा हमर पिया।। नइहर ....
गउना करा के तूँ हमरा ले जा।
हम उठइबो तोर जूठा हमर पिया।। नइहर ....
हमरा तूँ अकवारी में भर लऽ।
हमरा से न´् रूठऽ हमार पिया।। नइहर .....