भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सद्भावना गीत / उमेश बहादुरपुरी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ४ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:42, 11 मार्च 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हम हिंदु बनबइ न´् मुसलमान बनबई।
सबसे पहिले सुघड़ इनसान बनबइ।।
अदमी-अदमी के मारे कइसन ई धरम?
हम सब कुछ करबइ न करबइ ई करम?
ई देशवा के हमहीं त शान बनबइ। सबसे ....
हम बीज नफरत के करबे करबइ खतम।
सब कुछ मानबइ न मानबइ ई रसम?
हम आवेवाला कल के इम्तहान बनबइ। सबसे ....
दुनहुँ के देहिया के खूनमा हे लाल।
छतिया में बतिया रहल इहे शाल।
हम देशवा के धरम-ईमान बनबइ।। सबसे ....
एक्के माय-बाप के हम हिअइ संतान।
एक्के हमर धरती एक्के असमान
हम आवेवाला कल के पहचान बनबइ।। सबसे ....
तनि अँखिया से अँखिया मिलावऽ न भाई।
आवऽ खइहऽ हिल-मिल प्यार के मिठाई
हम आनेवाला कल के हिंदुस्तान बनवइ। सबसे ....