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ज़िन्दगी भार है / रंजना वर्मा

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जिंदगी भार है
खार ही खार है॥

मोह की कल्पना
तप्त अंगार है॥

कष्टमय विश्व में
प्यार ही सार है॥

इस जगत का सखे
प्रेम आधार है॥

कर प्रकृति जो रही
मूक अभिसार है॥

जो दिया ईश ने
ये वह उपहार है॥

व्याप्त ब्रह्मांड में
प्यार ही प्यार है॥